उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र में विमर्श का हुआ आयोजन,प्रो. देवेन्द्र राज अंकुर ने रंगकर्मियों से किया संवाद।

त्रिभुवन नाथ शर्मा की रिपोर्ट

Prayagraj,up: उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, प्रयागराज (संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार) द्वारा भारतीय रंगमंच को समर्पित कार्यक्रम विमर्श-3 का आयोजन पुस्तकालय प्रागंण ,सांस्कृतिक केंद्र परिसर में शुक्रवार को किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ रंगकर्मी, रंगचिंतक व राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के पूर्व निदेशक प्रो. देवेन्द्र राज अंकुर को आमंत्रित किया गया था। कार्यक्रम के शुभारंभ में केंद्र निदेशक प्रो. सुरेश शर्मा ने प्रो. देवेन्द्र राज अंकुर को पुष्प गुच्छ तथा स्मृति चिन्ह भेंट कर उनको सम्मानित किया। प्रो अंकुर ने भारतीय रंगमंच में कहानी के रंगमंच का सूत्रपात के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कई भाषाओं में 500 से अधिक कहानियों और 20 उपन्यासों का मंचन किया है।


केंद्र निदेशक प्रो. सुरेश शर्मा विमर्श पर बोलते हुए कहा कि यह आयोजन नाट्य कर्मियों एवं साहित्य जगत से जुडे साहित्य कर्मियों को इस संवाद अतिथियों तथा सभी कलाकर्मी, साहित्यकार व कलासमीक्षकों को धन्यवाद ज्ञापित किया। मंच एवं श्रोताओं के बीच सेतु के रूप में इलाहाबाद विश्वविद्याल के हिन्दी के प्रोपेसर अमितेश द्वारा मंच का संचालन किया गया। मंच पर आते ही श्रोताओं ने प्रो. देवेन्द्र राज अंकुर का तालियों से स्वागत किया। उसके बाद उन्होंने अपने रंगमंच यात्रा से श्रोताओं को रूबरू कराया। प्रो. देवेन्द्र अपने वक्तव्य में कई संस्मरणों तथा कहानी का रंगमंच में धूप का एक टुकड़ा और ताराशंकर बदोपध्याय द्वारा लिखित उपन्यास गणदेवता व किराना घराना जैसे विषयों पर चर्चा की। श्रोताओं के बीच से पूछे गए प्रश्नों को उन्होंने अपने सरल और सहज शब्दों से जबाव दिया।


प्रो. देवेन्द्र अंकुर द्वारा अपने वक्तव्य में कई संस्मरणों को सुनाते हुए रागदरबारी नाटक पर विस्तृत चर्चा की। सवाल- जबाब और परिचर्चा के दौरान उपस्थित दर्शकों द्वारा साहित्य और नाटक से जुड़े कई पहलुओं पर विचार- विमर्श किया। कार्यक्रम के अंत में केंद्र निदेशक ने समस्त कलानुरागियों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर केंद्र के अधिकारी व कर्मचारी सहित काफी संख्या में गणमान्य उपस्थित रहे।