विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने दसवें राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के भारत क्षेत्र सम्मेलन में सहभागिता कर विचार व्यक्त किये

रिपोर्टर देवेन्द्र कुमार जैन भोपाल मध्य प्रदेश
मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को संसद भवन, नई दिल्ली में आयोजित दसवें राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) के भारत क्षेत्र सम्मेलन में सहभागिता की और सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में विधायिका की भूमिका  विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। सम्मेलन की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने की। राज्यसभा के उपसभापति हरवंश, राज्यों के विधानसभा अध्यक्ष एवं विधासभाओं के प्रमुख सचिव भी उपस्थित थे। सम्मेलन में मध्यप्रदेश विधानसभा सचिवालय के प्रमुख सचिव  ए.पी.सिंह एवं अन्य अधिकारीगण भी उपस्थित थे। सम्मेलन में अपने विचार रखते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि संसद और विधानसभा लोकतांत्रिक व्यवस्था के आधार हैं। इसके साथ ही पंचायती राज संस्थाएं भी लोकतंत्र की बुनियाद रखती हैं। लेकिन पंचायती राज संस्थाएं भी संसद और विधानसभा के द्वारा बनाएं अधिनियमों से ही संचालित होती है। इसलिए लोकतंत्र का प्रकाश ऊपर से नीचे की ओर ही जाता है। इसलिए यह आवश्यक है कि सतत् व समावेशी विकास से लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए विधायिका की भूमिका बहुत ही सकारात्मक और सशक्त् होना चाहिए। इससे राष्ट्र को लाभ मिलेगा। विधानसभा अध्यक्ष ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कि सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में भारत अग्रणी देश है और हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। सभी राज्य सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अपने−अपने स्तर पर कार्य कर रहे हैं। संसद और विधानसभाओं की अपनी−अपनी भूमिका है, और दोनों लोकतंत्र को सशक्त करने का कार्य करती हैं। हमारी विधायिका ने सतत विकास लक्ष्यों को सदैव प्राथमिकता दी है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि संसद द्वारा जम्मू−कश्मीर से धारा 370 हटाने के फलस्वरूप वहां अनुसूचित जाति−जनजाति को आरक्षण का लाभ प्राप्त हुआ है। इसी तरह संसद ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम के माध्यम से महिला सशक्तिकरण का मार्ग प्रशस्त किया है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि मध्यप्रदेश विधानसभा देश की पहली विधानसभा ने जिसने बलात्कार के दोषी को फांसी की सजा देने के लिए कानून में प्रावधान करने के साथ ही एसे मामलों को फास्ट ट्रेक कोर्ट में चलाने का की व्यवस्था की है। उन्होंने कहा कि 2047 तक हमें यदि विकसित भारत बनाना है तो सभाी राज्यों की विधायिकओं को भी सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में प्रयास करना चाहिए।