AT रिपोर्टर देवेन्द्र कुमार जैन भोपाल मध्य प्रदेश
हिंदू धर्म में दीपों के पर्व दीपावली को सबसे बड़े त्योहारों में से एक माना गया है, कार्तिक माह की त्रयोदशी से शुक्ल द्वितिया तक यह त्योहार मनाया जाता है जिसमें कार्तिक माह की अमावस्या को मुख्य दीपावली पर्व होता है। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। जिस दिन मध्य रात्रि में निशीथ काल में अमावस्या तिथि हो उसी तिथि को दीपावली पूजन के लिए ग्रहण करने का विधान शास्त्रों में बताया गया है। ब्रह्मपुराण के इसी नियम के अनुसार 31 अक्टूबर यानी गुरुवार को अमावस्था तिथि दिन में 2 बजकर 40 मिनट से लग रही है, इस कारण दीपावली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। दिपावली पूजा विशेष मुहूर्त में की जाती है। मान्यता के अनुसार शुभ लग्न-मुहूर्त देखकर श्री गणेश जी, व लक्ष्मीजी पूजा का प्रचलन प्राचीनकाल से ही चला आ रहा है। लक्ष्मीजी की शुभ योग में पूजा करने जीवन में सुख, शांति, समृद्धि का विस्तार होता है। श्री लक्ष्मी पूजन के दिन सुबह घर की साफ सफाई अच्छी तरह से करनी चाहिए। पानी में नमक डालकर घर में पौछा लगाये। उसके उपरांत पूजा स्थल पर थोड़ा सा गंगाजल डालकर भी सफाई करनी चाहिए।इस दिन सुबह पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए और नए या फिर साफ धुले हुए वस्त्र ही धारण करने चाहिए। काले- नीले वस्त्र पूजा के समय नहीं पहनें चाहिए । ईश्वर के लिए जलाए जाने वाले दीपक के नीचे चावल अवश्य रखने चाहिए। पूजा के दौरान कभी भी दीपक से दीपक नहीं जलाना चाहिए।पूजा के पूर्व घर आंगन को अच्छे से सजाएं। द्वार देहरी पर रंगोली और मांडने बनाएं। द्वार पर वंदनवार लगाएं, नियम से उचित संख्या में दीए लगाएं और मां लक्ष्मी के पदचिह्न मुख्य द्वार पर ऐसे लगाएं कि कदम बाहर से अंदर की ओर जाते हुए प्रतीत हों। ध्यान रहे देवी देवताओं के जिस बर्तन में आप भोग लगाते हैं, वे बर्तन अलग होने चाहिए। केवल उन्हीं बर्तनों में देवी देवताओं को भोग लगाना चाहिए। इस दिन केवल प्राकृतिक बंदरवार ही लगानी चाहिए। जैसे- अशोक, आम वृक्ष के पत्ते, गेंदा, गुलाब आदि पुष्पों की बंदरवार बनाकर घर के प्रत्येक दरवाजे पर व घर के मंदिर में लगायें। हो सके जहां तक प्लास्टिक की बंदरवार या प्लास्टिक के फूलों से बचना चाहिए। घर के ईशान कोण में ही पूजा करें। पूजा के समय हमारा मुंह ईशान, पूर्व या उत्तर में होना चाहिए। लक्ष्मीजी पूजा के समय शुद्ध भारतीय देसी गाय के घी का दीपक जलाना चाहिए। इससे माता लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है। मान्यता अनुसार दीपावली पूजन के समय किसी के घर नहीं जाते। दिवाली मिलन का कार्य अगले दिन किया जाता है। खासकर घर की स्त्रियों को दीपावली पूजन व संध्या काल के समय घर के बाहर नहीं जाना चाहिए । पूजा- पाठ आसन पर बैठकर ही करें। पूजा में आसन साफ-सुथरा व धुला हुआ होना चाहिए। पूजा के बाद अपने आसन के नीचे दो बूंद जल डालें और उसे माथे पर लगाएं, तभी उठना चाहिए, अन्यथा आपकी पूजा का फल देवराज इंद्र को चला जाता है। दीपावली के दिन श्रीगणेश जी, माता लक्ष्मी जी पूजन के बाद अपने कुल देवी- देवताओं की भी पूजा करे और इस दिन दक्षिण दिशा में एक दीपक अपने पितरों के लिए भी जलाएं व उन्हें नमस्कार करें। उसके उपरांत अपने घर के बड़े बुजुर्गों व माता- पिता को प्रणाम करें। दीपावली के दिन लक्ष्मी जी के पूजन के बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिए। बच्चों व बुजुर्ग को छोड़कर सभी को व्रत रखना चाहिए।
प्लास्टिक की बंदरवार या प्लास्टिक के फूलों से बचें पूरे विधि विधान से हो दीपावली पूजन कुछ सामान्य बातों का रखें ध्यान
गले से सोने की चैन झपट कर गर्लफ्रेड के शौक पूरे करने वाला आरोपी पुलिस के हत्थे चढ़ा
November 9, 2024
No Comments
भारतीय सेना के आत्मनिर्भरता की और बढ़ते कदम,पूर्ण रूप से स्वदेश में विकसित ‘अस्मि’ मशीनगन सेना में शामिल
November 7, 2024
No Comments
भोपाल के वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में प्रवेश के लिये संशोधित दरें संशोधित दरें 7 नवम्बर से होंगी लागू
November 7, 2024
No Comments
वन अमले को मिली सफलता भालू का शिकार करने वाले आरोपियों को किया गिरफ्तार
November 7, 2024
No Comments
विद्यार्थियों को अंतरिक्ष विज्ञान का अध्ययन करवाने पर करें फोकस पीपीपी मोड पर बनाए जाएं आईटी पार्क
November 6, 2024
No Comments