मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ 10 नवंबर को हुए सेवा निवृत्त,जानें कौन से थे न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ के कुछ मुख्य जजमेंट

AT रिपोर्टर देवेन्द्र कुमार जैन भोपाल मध्य प्रदेश
भारत के 50 वें मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को अपने पद से रिटायर हो गए। उनके दो साल के कार्यकाल के बाद न्यायमूर्ति संजीव खन्ना अगले CJI होंगे। इससे पहले शुक्रवार को अपने आखिरी वर्किंग डे पर भी न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ कामकाज करते रहे और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से जुड़े एक अहम मामले में सात न्यायाधीशों की संविधान की अगुवाई की। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर 2022 को भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी और 10 नवंबर 2024 को पद से रिटायर हो गए।न्यायाधीश धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ का जन्म 11 नवंबर 1959 को हुआ था। उनके पिता वाईवी चंद्रचूड़ भारत के 16 वें मुख्य न्यायाधीश थे। उनकी मां प्रभा चंद्रचूड़ ऑल इंडिया रेडियो की गायिका थीं। उन्होंने 1979 में दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से अर्थशास्त्र और गणित में डिग्री हासिल की, उसके बाद 1982 में दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय से कानून में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। एक अधिवक्ता के रूप में कार्य करते हुए, मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ 1988 से 1997 के बीच बॉम्बे विश्वविद्यालय में तुलनात्मक संवैधानिक कानून के विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में पद ग्रहण करके कानूनी शिक्षाविदों से जुड़े रहे। इसके अलावा, उन्हें भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में नियुक्त किया गया, जिस पद पर वे 29 मार्च, 2000 को बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत होने तक रहे। मुख्य न्यायाधीश के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान कई बड़े फैसले दिए हैं।जिसमें इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक से लेकर यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट और अनुच्छेद 370 पर फैसला भी शामिल है। इसके अलावा वह अपने कार्यकाल के दौरान 23 संविधान पीठों का हिस्सा थे और इस दौरान उन्होंने 612 फैसले लिखे। इसी साल हुए लोकसभा चुनाव से ठीक पहले फरवरी में चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुवाई में राजनीतिक पार्टियों को चंदे के लिए इस्तेमाल किए जा रहे इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर रोक लगा दी थी। इससे राजनीतिक दलों को इसके जरिए मिले चंदे का ब्योरा भी जनता के सामने आ गया। CJI चंद्रचूड़ ने यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट-2004 को संवैधानिक घोषित कर दिया, इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने इस एक्ट को असंवैधानिक करार दिया था। साथ ही मदरसों में पढ़ने वाले सभी छात्रों का दाखिला सामान्य स्कूलों में करवाने का आदेश किया था। इस फैसले का यूपी के हजारों मदरसों में पढ़ने वाले 17 लाख से अधिक छात्रों के भविष्य पर असर पड़ेगा। CJI चंद्रचूड़ ने अविवाहित महिलाओं के अधिकारों का विस्तार करते हुए उन्हें मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) अधिनियम के तहत 24 सप्ताह तक गर्भपात की अनुमति दी, जो कि विवाहित महिलाओं के समान है।सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में एक नियम को खत्म कर दिया, जिसके तहत 10-50 आयु वर्ग की लड़कियों और महिलाओं को केरल के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी।पाँच-न्यायाधीशों की पीठ का नेतृत्व करते हुए, मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने अपने फैसले में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया। हालांकि, सर्वोच्च अदालत ने समलैंगिकों को बच्चा गोद लेने का अधिकार दिया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए को वैध करार दिया है। इस धारा के तहत साल 1966 से 1971 के बीच बांग्लादेश से आए लोगों को भारतीय नागरिकता दी जाती है। रिटायर मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिन फेयरवेल स्पीच देते हुए अपनी सफलता के लिए अपने पिता को श्रेय देते हुए उनके बारे में कुछ प्रेरक किस्से साझा किए। मुख्य न्यायाधीश ने बताया कि उनके पिता बहुत अनुशासित थे। हम सभी यहां यात्रियों की तरह हैं, जो कुछ समय के लिए आते हैं, अपना काम करते हैं और फिर चले जाते हैं।भारत के रिटायर मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने अपने विदाई समारोह के दौरान यह बात कही । अपने निडर और निष्पक्ष फैसलों के लिए देश उन्हें हमेशा याद रखेगा।