क्लब फूट एक जन्मजात दोष प्रतिवर्ष लगभग 33000 बच्चे क्लब फुट की समस्या के साथ लेते हैं जन्म

भोपाल रिपोर्टर देवेन्द्र कुमार जैन
क्लब फूट बीमारी की जागरूकता के लिए “हेल्दी स्टेप्स, हेल्दी लाइफ” की थीम पर जागरूकता माह का आयोजन किया जा रहा है। जिसके तहत जून माह में क्लब फूट जागरूकता एवं नए मरीजों को चिन्हित करने के लिए विशेष गतिविधियां की जाएंगी। क्लब फूट राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत चिह्नांकित 32 बीमारियों में से एक है। जून माह में क्लब फूट क्लिनिक में शिविर आयोजित कर नए बच्चों का चिह्नांकन किया जाएगा। भोपाल जिले को नवंबर – 2019 में क्लब फूट मुक्त किया जा चुका है। भोपाल में इस बीमारी का कोई भी बैकलॉग शेष नहीं है। सभी नए केसेस को जन्म के तुरंत बाद चिह्नित कर उपचारित किया जा रहा है। माह के दौरान सभी प्रसव केंद्रों, एसएनसीयू एवं एनबीएसयू में चिकित्सकों एवं पैरामेडिकल स्टाफ का उन्मुखीकरण किया जाएगा। साथ ही जिला एवं विकासखंड स्तर पर स्क्रीनिंग शिविर भी लगाए जाएंगे।भारत में हर वर्ष लगभग 33000 बच्चे क्लब फुट की समस्या के साथ जन्म लेते हैं। क्लब फूट के इलाज के तीन चरण होते हैं। पहला कास्टिंग, दूसरा टेनोटोमी और तीसरा ब्रेसिंग। उपचार के बाद बच्चे को ब्रेसेस दिए जाते हैं जो कि अगले 3 महीने तक के लिए रात और दिन पहनाया जाना आवश्यक होता है। केवल बच्चों को नहलाते समय ही इसे उतरना होता है। 3 महीने की अवधि के बाद ब्रेसेस को केवल दिन और रात में सोते समय पहनना आवश्यक होता है। यह ब्रेसेस 4 से 5 साल तक पहनने की आवश्यकता होती है।मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि क्लब फूट एक जन्मजात दोष है। जिसमें बच्चे के एक या दोनों पैर अंदर की ओर मुड़े हुए होते हैं। एक हजार नवजात बच्चों में से 1 या 2 बच्चों को क्लब फुट होने की आशंका रहती है। इलाज के बाद यह बच्चे अन्य बच्चों की तरह सभी गतिविधियां सामान्य रूप से कर सकते हैं। बच्चे का उपचार जन्म के तुरंत बाद ही शुरू किया सकता है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत भोपाल में पिछले 10 सालों में 400 से अधिक बच्चों को इस बीमारी का उपचार मिल चुका है। पिछले साल 30 बच्चों को उपचारित किया गया है। इलाज के बाद कास्टिंग एवं ब्रेसेस नि:शुल्क दिए जाते हैं। विगत 6 माह में 17 बच्चों को ब्रेसेस दिए जा चुके हैं। जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र में अनुष्का फाउंडेशन के सहयोग से “क्लब फूट क्लीनिक” संचालित किया जा रहा है। क्लिनिक में क्लब फूट की सर्जरी के बाद बच्चों को विशेष प्रकार के जूते या ब्रेसेस निशुल्क उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। यह क्लिनिक जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र में हर गुरुवार को संचालित होता है। जिन बच्चों मे तिरछे पैर या क्लब फूट की समस्या है वे डीईआईसी में बच्चों का नि:शुल्क इलाज करवा सकते हैं।

सायबर  जागरूकता अभियान अंतर्गत नगर सुरक्षा समिती के सदस्यो को जोडकर “नगर सुरक्षा सायबर समिती” का हुआ गठनAT रिपोर्टर देवेन्द्र कुमार जैन भोपाल मध्य प्रदेशपुलिस महानिदेशक महोदय के निर्देशन मे प्रदेशभर मे सायबर जागरूकता अभियान  ” सेफ क्लिक” दिनाक 01.02.2025 से 11.02.2025 तक संचालित किया जा रहा है ताकि सायबर अपराधो मे कमी लाई जा सके। सायबर जागरूकता अभियान आदेश के पालन मे  पुलिस उपायुक्त जोन-3 भोपाल रियाज इकबाल द्वारा जोन-3 के सभी थाना प्रभारियो के माध्यम से  स्कूल , कालेज, कोचिंग संस्थानो, सार्वजनिक स्थान  पर सायबर संबधी अपराधो के बारे मे जन जागरूकता  बढाने के लिये कार्यक्रम आयोजित करवाये जा रहे है। सायबर जागरूकता अभियान के दौरान दिनाक 10.02.25 को रीजनल कालेज श्यामला हिल्स भोपाल मे नगर सुरक्षा समिती के सदस्यो का एक दिवसीय सायबर सुरक्षा सबंधी सेमीनार का आयोजन किया गया सेमिनार मे पुलिस उपायुक्त एवं  श्रीमान अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त भोपाल के मार्गदर्शन मे प्रशिक्षण सत्र के दौरान उपस्थित प्रतिभागियो को सायबर सबंधी प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण मे उपस्थित सभी प्रतिभागियो को  सायबर अपराध के  मुख्य कारक “आलस्य”, “लालच”. “भय”  एवं  “अज्ञानता” के बारे मे बताया ।सायबर सेल प्रभारी द्वारा प्रशिक्षण सत्र के दौरान प्रतिभागियो को वर्तमान मे घटित हो रहे  सायबर अपराध , डिजिटल अरेस्टिग, फोन-पे के माध्यम से फ्राड, ओटीपी के माध्यम से फ्राड, आनलाईन शोपिंग के माध्यम से फ्राड, के बारे मे बताया गया एवं  भारत सरकार  द्वारा सायबर सुरक्षा के लिये बनाये गये  चक्षु पोर्टल , सपोर्ट  पोर्टल  एवं  संचार साथी एप के बारे मे बताया गया  सेमीनार के अंत मे नगरीय पुलिस  जोन-3 भोपाल के सभी थानो मे नई पहल करते हुए  ” नगर सुरक्षा सायबर समिती”  का गठन किया जाकर क्षेत्र मे जन जागरूकता बढाने हेतु  बताया गया है। गठित “नगर सुरक्षा सायबर समिती” पुलिस तथा जनता के मध्य सेतु का काम करते हुए जनता के साथ हो रहे आर्थिक अपराधो को रोकने मे पुलिस के लिये मील का पत्थर साबित  होगी इन समितियो के कार्य का मासिक रूप से  मुल्याकन किया जाकर  मासिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जावेगा।