महिला बाल विकास विभाग एवं सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग को कलेक्टर के निर्देश,साप्ताहिक सौंपे रिपोर्ट।

भोपाल से देवेन्द्र कुमार जैन की रिपोर्ट


भोपाल, एमपी। कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग भोपाल द्वारा संचालित योजनाओं की शुक्रवार को विस्तृत समीक्षा की। समीक्षा के दौरान उन्होंने कहा कि भोपाल जिले में सभी वार्ड एवं ग्राम पंचायतों में आगामी 2 माह में विभाग टीम बनाकर सर्वे कराएं एवं दिव्यांगजन का आई डेन्टीफिकेशन करें एवं प्राप्त डेटा के आधार पर सभी पात्र व्यक्तियों को शासन की योजनाओं से लाभांवित करें साथ ही शिविर लगाकर जरूरतमंद व्यक्तियों को कृत्रिम अंगों का वितरण किया जाए और अपात्र व्यक्तियों को कोई लाभ तो नहीं मिल रहा है यह सुनिश्चित किया जाए।

उन्होंने कहा कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन एवं सहायता से कोई पात्र व्यक्ति वंचित न रहें एवं अपात्र को बाहर किया जाए। विभाग के द्वारा कोई भी पात्र व्यक्ति का आवेदन लंबित न रहें, यह सुनिश्चित किया जाए। कलेक्टर ने नशामुक्ति के लिए सामाजिक न्याय स्कूल शिक्षा विभाग, महिला बाल विकास, पुलिस, एनजीओ एवं अन्य सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से वृहद रूप में अभियान चलाकर जागरूकता करें। स्कूल, कॉलेजों में बच्चों को नशे के दुष्प्रभाव एवं होने वाले शारीरिक, मानसिंक एवं आर्थिक नुकसान के बारे में जनजागरूकता करें एवं जिले में मादक पदार्थों एवं ड्रग्स आईडेंटीफिकेशन के लिए पुलिस के साथ मिलकर काम करें। इसी प्रकार भोपाल जिले को भिक्षावृत्ति से मुक्त करने के लिए व्यापक स्तर पर कार्य योजना तैयार कर मैदानी रूप से कार्य करने की जरूरत है, जिसके अगले 7 दिन में विभाग द्वारा कार्य योजना सौंपी जाए। विभाग द्वारा संचालित एवं आर्थिक सहायता वाले वृद्धाश्रम, संस्थाएं, नशा मुक्ति केन्द्र के द्वारा दी जाने वाली सेवाओं का सत्यापन कराया जाए। पेंशन से संबंधित एवं अन्य सीएम हेल्पलाइन का समय-सीमा में निराकरण करें और कलेक्टर के समक्ष साप्ताहिक रिपोर्ट प्रस्तुत करें। कलेक्टर ने कहा कि प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के अंतर्गत लक्ष्य के विरुद्ध प्राप्त उपलब्धि की स्थिति में सुधार लाकर समय सीमा बैठक में समीक्षा के लिए रखा जाए।

पोषण पुनर्वास केंद्रों में बेड ऑक्युपेंसी क्षमता वर्तमान से बढ़ाकर शत-प्रतिशत की जाए। आंगनवाड़ी केन्द्रों में वितरित किये जा रहे नाश्ते व भोजन के लिए जिला स्तर से गुणवत्ता परीक्षण के लिए दल बनाकर कार्रवाई की जाए। सभी बाल कल्याण संस्थानों में सेफ्टी ऑडिट किया जाए। साथ ही टीम द्वारा भ्रमण कर प्रत्येक संस्था में व्यवस्थाओं का निरीक्षण एवं उनमें आवश्यकतानुसार सुधार किया जाए। कलेक्टर द्वारा भी संस्थानों में भ्रमण कर निरीक्षण किए जाने की इच्छा व्यक्त की गई है। निर्माणाधीन एवं अप्रारंभ आंगनबाड़ी भवनों की निर्माण एजेंसियों के साथ निरंतर समीक्षा की जाए एवं उन्हें यथाशीघ्र पूर्ण किया जाए।