रिपोर्टर देवेन्द्र कुमार जैन भोपाल । मध्य प्रदेश
साइबर अपराधों की रोकथाम हेतु शहर के सभी सरकारी एवं प्राइवेट बैंकों के मैनेजरों के साथ पुलिस आयुक्त द्वारा आयुक्त कार्यालय सभागार में बैठक आयोजित की गई, जिसमें पुलिस अधिकारियों के अलावा शहर के सभी सरकारी एवं प्राइवेट बैंकों के प्रबंधक भी मौजूद थे । बैठक को संबोधित करते हुए पुलिस आयुक्त ने कहा कि साइबर अपराध पुलिस के लिए बहुत बड़ी चुनौती बन गया है। आधुनिकीकरण एवं मोबाइल के बढ़ते उपयोग के कारण साइबर ठगी में घटनाओं में विगत वर्षों में तेजी से बढ़ोत्तरी हुई है, जो कि न केवल पुलिस के लिए ही बड़ी चुनौती है बल्कि आमजन की मेहनत की कमाई पर बड़ी आसानी से सेंध लगा रहे हैं ।आंकड़े की बात करें तो बाकी अन्य तरह के धोखाधड़ी एवं ठगी के मामलों एवं राशि की अपेक्षा साइबर मामले कई गुना ज्यादा है। साइबर अपराधों को रोकने के लिए मुख्य रूप से बैंकों को अपनी प्रणाली को सुरक्षित बनाने एवं अपने ग्राहकों को जागरूकत करने की अत्यंत आवश्यकता है ।बैंकों को अपने ग्राहकों के डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। बैंकों को साइबर हमलों की रिपोर्ट करनी चाहिए ताकि अन्य बैंकों और ग्राहकों को भी सावधान किया जा सके तथा बैंकों को साइबर सुरक्षा नियमों का पालन करना चाहिए। इन जिम्मेदारियों को पूरा करके, बैंक साइबर अपराधों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। बैठक के दौरान साइबर अपराधों को रोकने हेतु बैंकों द्वारा किए जा रहे सुरक्षा उपायों के सम्बंध में बताया। एवं सुझाव भी रखे गये।साथ ही मैनेजरों को साइबर अपराध संबंधी जानकारी पुलिस को तत्काल देने को कहा गया एवं मैनेजरों की जवाबदेही तय की गई । साइबर ठगी के कई तरीके हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख तरीके हैं फिशिंग : इसमें ठग नकली ईमेल या मैसेज भेजते हैं जो वास्तविक कंपनियों या संगठनों जैसे दिखते हैं, लेकिन वास्तव में आपकी व्यक्तिगत जानकारी चोरी करने के लिए होते हैं। विशिंग: इसमें ठग नकली वेबसाइट्स पर ले जाते हैं जो वास्तविक वेबसाइट्स जैसी दिखती हैं, लेकिन वास्तव में व्यक्तिगत जानकारी चोरी करने के लिए होती हैं। मैलवेयर:इसमें ठग डिवाइस में मैलवेयर स्थापित करते हैं जो व्यक्तिगत जानकारी चोरी कर सकता है या डिवाइस को नुकसान पहुंचा सकता है। सोशल इंजीनियरिंग: इसमें ठग आपको मनाने की कोशिश करते हैं कि आप अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा करें या कुछ ऐसा करें जिससे आपको नुकसान हो सकता है।क्लोनिंग:इसमें ठग बैंक खाते या क्रेडिट कार्ड की जानकारी चोरी करते हैं और उसका उपयोग पैसे चोरी करने के लिए करते हैं। स्मिशिंग: इसमें ठग नकली एसएमएस भेजते हैं जो वास्तविक कंपनियों या संगठनों जैसे दिखते हैं, लेकिन वास्तव में आपकी व्यक्तिगत जानकारी चोरी करने के लिए होते हैं ।वायरस और ट्रोजन: इसमें ठग डिवाइस में वायरस या ट्रोजन स्थापित करते हैं जो आपकी व्यक्तिगत जानकारी चोरी कर सकते हैं या आपके डिवाइस को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा साइबर ठगी के कुछ नए तरीके भी हैं जैसे डर का इस्तेमाल साइबर अपराधी लोगों को डरा धमका कर ठगी करते हैं। वे पुलिस स्टेशन जैसे सेटअप से विडियो कॉल कर विक्टिम को बुरी तरह डराते हैं। आधार कार्ड, पैन कार्ड की डिटेल बताकर विक्टिम यकीन दिलाते हैं कि आपका संदिग्ध एक्टिविटी में नाम आ चुका है। नौकरी का झांसा देकर युवाओं का कंबोडिया का वीजा बनवाया जा रहा है, जहां से उन्हें अवैध तरीके से म्यांमार ले जाया जा रहा है। वहां उन्हें बंधक बनाकर साइबर ठगी की जा रही है। साइबर अपराधी ‘डिजिटल अरेस्ट’ का झांसा देकर लोगों से पैसे ऐंठते हैं। वे विक्टिम को कहते हैं कि आपका संदिग्ध एक्टिविटी में नाम आ चुका है और आपको डिजिटल अरेस्ट किया जा सकता है। फर्जी पुलिस*: साइबर अपराधी फर्जी पुलिस बनकर लोगों से पैसे ऐंठते हैं। वे विक्टिम को कहते हैं कि आपको पुलिस स्टेशन आना होगा और नहीं आने पर आपको गिरफ्तार कर लिया जाएगा। साइबर ठगी से बचने के लिए आमजन व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें। मजबूत पासवर्ड का उपयोग करें।दो-कारक प्रमाणीकरण का उपयोग करें। वेबसाइट्स और ईमेल्स की जांच करें।सॉफ्टवेयर अपडेट रखें। एंटीवायरस सॉफ्टवेयर का उपयोग करें। सार्वजनिक वाई-फाई का उपयोग न करें।संदिग्ध गतिविधि की रिपोर्ट करें।
