त्रिभुवन नाथ शर्मा की रिपोर्ट
Prayagraj, up: गर्मी व होली के वातावरण में न्यूरो सबंधित बीमारियों की विशेषता व उससे बचाव के संबंध में डॉ प्रभात सिंह ने पत्रकार वार्ता को सम्बोधित करते हुए बताया कि निर्जलीकरण, गर्मी की सबसे जटिल समस्या है जिसके लक्षणों में शामिल हैं भारी पसीना आना, शरीर का तापमान बढ़ा हुआ होना, चक्कर आना या बेहोशी महसूस होना, थकान और सूस्ती महसूस होना, भूख कम लगना, चिडचिडा होना, हाथ, पैर या पेट में मांसपेशियों में मरोड या दर्दनाक ऐंठन होना साथ ही गर्मी से थकावट भी एक गंम्भीर समस्या है। यह तेज गर्मी के संपर्क में आने या जोरदार शारीरिक व्यायाम के परिणामस्वरूप होता है। गर्मी की थकावट के लक्षणों में सिर दर्द, शरीर का तापमान बढा हआ होना, भारी पसीना आना, थकान, कमजोरी और बेचैनी, समूद्री बीमारी और उल्टी, कमजोर, तेज़ नाड़ी, खराब समन्वय, चिंता।
डॉ० प्रभात सिंह ने बताया कि यदि आपको या आपके किसी जानने वाले को गर्मी से थकावट के लक्षण दिखें तो क्या करें : आप जो कर रहे हैं उसे रोकें, किसी ठंडी, छायादार जगह पर जाएं और पैरों को सहारा देकर और थोड़ा ऊपर उठाकर लेट जाएं, कैफीन और अल्कोहल से परहेज करते हुए धीरे-धीरे खूब सारा पानी या फलों का रस पिएं, पंखे या एयर- कंडीशनर से, त्वचा पर ठंड़े पानी का छिड़काव करके या ठंडे शॉवर या स्नान से ठंडक महसूस करें, बगल, कमर या गर्दन के नीचे कूल पैक लगाकर शरीर का तापमान कम करें ऐंठन या ऐंठन को कम करने के लिए मालिश का उपयोग करें, फिर आइस पैक का उपयोग करें ।
वही आगे उन्होंने बताया कि हीट स्ट्रोक (लू लगना) एक गंभीर बीमारी है जहां किसी व्यक्ति का तापमान् 40°C से अधिक हो जाता है, जो तेज गर्भी के संपर्क में आने या जोरदार शारीरिक व्यायाम के कारण होता है।
हीटस्ट्रोक के लक्षण
हीटस्ट्रोक के लक्षणों में सिरदर्द, चक्कर आना, मतली, उल्टी और भ्रम, लाल, गर्म और असामान्य रूप से शुष्क त्वचा होना, अत्यधिक प्यास लगना, सूखी, सूजी हई जीभ होना।
डॉ प्रमात सिंह ने बताया कि मल्टीपल स्क्लोरोसिस तथा मियास्थेनिया ग्रेविस, एलजाइमर, पार्किन्सन जैसे रोग भी गर्मी के समय शुरू होते है या जिन्हे है उनके उत्तेजित हो जाते है।
शरीर का तापमान अचानक 46°C से अधिक बढ़ जाना, ग्रमित या भ्रमित होना, अस्पष्ट भाषण, आक्रामक होना या अजीब व्यवहार करना, आक्षेप, दौरे या कोमा। पसीना आ सकता है और त्वचा भ्रामक रूप से ठंडी लग सकती है, और तेज पल्स भी चल सकता है।
डॉ सिंह ने बताया कि हीटस्ट्रोक एक अत्यधिक चिकित्सीय आपात स्थिति है। यदि तुरंत इलाज न किया जाए, तो इससे महत्वपूर्ण अंगों को स्थारयी क्षति हो सकती है या मृत्यु भी हो सकती है। एम्बुलेंस के आने का इंतजार करते समय व्यक्ति को किसी ठंडी जगह पर ले जाएं और यदि संभव हो तो उसे स्थिर रखें, गर्मी से प्रभावित व्यक्ति को ऐस्प्रिन या पेरासिटामोल न दे। यदि व्यक्ति सचेत हैं उन्हें ठंड़े क्षेत्र में ले जाए और स्थिर रखे, उन्हें तरल पदार्थ के छोटे घूट दें, उपलध्य किसी भी विधि का उपयोग करके उनका तापमान कम करे, उनके कपड़े ढीले करें, उन पर ठंडा पानी छिड़कें, या उन्हें गीली चादर में लपेटें, जितनी जल्दी हो सके उन्हें ठंडा करने के लिए उनकी बगलों, उनकी गर्दन के पीछे और उनके माथे पर ठंडे, गीले कपड़े रखें।
होली के दौरान सावधानियां बरतने के विषय में डॉक्टर प्रभात सिंह ने बताया कि आपको स्वयं चश्मा पहनकर रखना चाहिए, फूल आस्तीन कपड़े पहनकर ही होली खेले तथा त्वचा में क्रीम / ऑयल लगाकर नमी बनाये रखें और दूसरो के साथ हर्बल कलर से ही होली खेले तथा इस दौरान गाड़ी संभल कर चलायें।उन्होने युवावस्था में बढ़ रहे नशे के प्रचलन की रोकथाम के लिये सबको मिल-जुलकर कार्य करने की सलाह दी।
प्रेसवार्ता में सचिव एoएम०ए0 डॉ० आाशुतोष गुप्ता, वित्त सचिव डॉ०सुभाष वर्मा,वैज्ञानिक सचिव डॉ० अनुभा श्रीवास्तव, पूर्व अध्यक्ष डॉ० सुबोध जैन, भूतपूर्व अध्यक्ष डॉ०सुजीत सिंह, पी०आर०ओ० डॉ० अनूप चौहान आदि उपस्थित रहे।