देवेन्द्र कुमार जैन की रिपोर्ट
भोपाल,मध्य प्रदेश। उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने भोपाल स्थित सेज विश्वविद्यालय के सभागार में “जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र” की दो दिवसीय राष्ट्रीय वार्षिक बैठक के शुभारंभ के अवसर पर “जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक निरंतरता” विषयक जनप्रबोधन कार्यक्रम को संबोधित किया। उच्च शिक्षा मंत्री ने काह कि अखंड भारत के इतिहास को भारतीय दृष्टि से सही परिप्रेक्ष्य में अध्ययन करने की आवश्यकता है। ‘जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख’, वैश्विक मानचित्र पर राष्ट्र का सिरमौर मुकुट है, सामरिक दृष्टि से राष्ट्र के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह सम्पूर्ण भारत का विषय है, भारत के भविष्य का विषय है।
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इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता मुकुल कानितकर, जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, प्रांतीय अध्यक्ष एवं विश्वविद्यालय के कुलाधिपति की गरिमामय उपस्थिति रही। साथ ही संपूर्ण भारत भर से सहभागिता करने पधारे विविध पदाधिकारीगण, कार्यकर्तागण, प्रबुद्धजन एवं संस्थान के विद्यार्थी उपस्थित थे। ज्ञातव्य है कि जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र एक स्वतंत्र और उद्देश्यपूर्ण प्रबुद्ध मंडल (थिंक टैंक) है, जो जम्मू कश्मीर के संपूर्ण अध्ययन के लिए समर्पित है। इसकी स्थापना वर्ष 2011 में भारत के रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य के सभी पहलुओं पर नीतिगत प्रासंगिक अध्ययन करने और उसके परिणामों को सही परिप्रेक्ष्य में सार्वजनिक क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए की गई है। जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र की वर्तमान में 15 शाखाएँ, 25 गतिविधि केंद्र एवं 50 से अधिक संबद्ध संस्थान हैं, जिनमें संपूर्ण भारत और विदेशों में 10 हजार से अधिक स्वयंसेवक हैं।