जानिये अनंत चौदस का महत्व,अनंतचतुर्दशी पर इस प्रकार से करें विशेष पूजा अनुष्ठान मनोकामनाएं होंगीं पूर्ण ।

देवेन्द्र कुमार जैन की रिपोर्ट

भोपाल, मध्य प्रदेश। प्रतिवर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। इसे ‘अनंत चौदस’ भी कहते हैं। यह दस दिनों तक मनाए जाने वाले गणेश उत्सव का आखिरी दिन भी होता है। इसी दिन गणपति बप्पा का विसर्जन किया जाता है। अनंत चतुर्दशी की तिथि भगवान श्रीहरि की पूजा के लिए विशेष मानी जाती है। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखकर विधि विधान से विष्णु जी की पूजा करने से चौदह वर्षों तक अनंत फल की प्राप्ति होती है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत काल में पांडव ने अनंत चतुर्दशी का व्रत रखकर ही अपना खोया हुआ राज पाठ प्राप्त किया था। इस साल चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 16 सितंबर को दोपहर 3.10 बजे पर हो रहा है और यह 17 सितंबर सुबह 11.44 बजे समाप्त होगा। उदया तिथि के अनुसार देखें तो इस साल अनंत चतुर्दशी का व्रत मंगलवार यानी 17 सितंबर 2024 को रखा जाएगा। अनंत चतुर्दशी के दिन चौदह ग्रंथि का सूत्र बांधने का विशेष महत्व बताया गया है। इस सूत्र का महत्व और लाभ इस दिन भगवान विष्णु के पूजन के दौरान चौदह ग्रंथि का सूत्र उनके सामने रखकर उसकी पूजा करनी चाहिए। पूजा के दौरान भगवान विष्णु के मंत्रों से इस अनंत सूत्र को जागृत किया जाता है। साथ ही पूरे विधि विधान के साथ पूजा के बाद इस चौदह ग्रन्थ अनंत सूत्र को पुरुष अपने दाहिने हाथ के बांह पर बांधते हैं।

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वहीं महिलाओं को बाएं हाथ के बांह पर यह सूत्र बांधा जाता है। इस अनंत सूत्र को धारण करने से व्यक्ति पर भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है। साथ ही उन्हें सुख समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए आप कुछ खास उपायों को कर सकते हैं। भगवान विष्णु का कृपा प्राप्त करने के लिए इस दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें। व्रत के संकल्प के दौरान भगवान विष्णु के रूप का ध्यान करें। इस दिन व्रत के दौरान आपको नमक रहित फलहार का ही सेवन करना है। अन्यथा आपकी पूजा अधूरी रह सकती है।

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