रिपोर्ट AT samachar
बचपन में अपने दोनों हाथ और पैर खो चुके, के.एस राजन्ना को जब राष्ट्रपति मुर्मू ने पद्मश्री से सम्मानित किया, तो पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। पोलियो में दोनों हाथ-पैर खोने के बाद, डॉ राजन्ना ने जिंदगी से कभी हार नहीं मानी बल्कि घुटनों से चलना सीखा और मैकेनिकल इंजीनियर बनकर आत्मनिर्भर बने।लेकिन डॉ राजन्ना इतना करके रुके नहीं, अपनी शारीरिक कमजोरियों को दरकिनार करके वह उन लोगों की ताकत बने, जिनको सहारे की जरूरत थी। उन्होंने अपने जैसे हजारों दिव्यांगजनों को फिर से उठना और जीवन जीना सिखाया। एक दिव्यांग सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में उनके प्रयासों को देखते हुए साल 2013 में कर्नाटक सरकार ने उन्हें दिव्यांगजनों के लिए राज्य आयुक्त बनाया था। समाज सेवा के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान के लिए पद्मश्री हासिल करने वाले डॉ. राजन्ना सही मायनों में इस सम्मान के हक़दार हैं और सबके लिए प्रेरणा भी।
पद्मश्री सम्मान हौसले और जज्बे से भर देने वाला पल था डॉ. के.एस. राजन्ना के लिए
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