सांप ले रहा है पिछले जन्म का बदला।

आधी हकीकत, आधा फ़साना, क्या सपना देकर सर्प के काटने की कहानी की हकीकत, पुनर्जन्म की अनोखी कहानी

झाँसी, यूपी। झांसी में चिरगांव थाना क्षेत्र के ग्राम पट्टी कुम्हर्रा में अजीबों- गरीब मामला सामने आया है, एक बृद्ध व्यक्ति के मुताबिक जब वह करीब 25 बर्ष का था, तभी उसे पहली बार एक सर्प ने डस लिया, इसके बाद 2 साल के अंतराल में उसे स्वप्न आता और स्वप्न में उसे एक सर्प दंश मारने की चेतावनी देता है, होता भी वही है, उसके कुछ ही दिनों बाद ही उसे सर्प काट लेता था। हर बार वह गांव के मंदिर पर जाता और ठीक हो जाता था। अभी विगत कुछ दिन पहले उसे एक सर्प ने काट लिया। दशहरा के दिन मंदिर के पुजारी और गांव के कुछ झाड़-फूंक करने वाले लोग एकत्रित हुए उन्होंने झाड़-फूंक शुरू की।

सपना देकर कई बर्षों से 12 बार काट चुका है

पुजारी ने बताया की जब सर्प दंश से पीङित व्यक्ति की झाड़-फूंक शुरू की गई तो उसके अंदर कोई दूसरी शक्ति आ गई। उसने कहा कि वह सर्प है और सर्पदंश वाला व्यक्ति उसका पूर्व जन्म का भाई था। दोनों के बीच किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ और दोनों ने एक दूसरे के लोगों का कत्ल कर दिया था। एक व्यक्ति ने पीड़ित के रूप में जन्म लिया एंव दूसरे ने सर्प के रूप में जन्म लिया। दुश्मनी का बदला लेने के लिए सर्प उसे स्वप्न देकर दंश मारता है। हालांकि यह लोगों की मान्यता है।

चिरगांव क्षेत्र के ग्राम पट्टी कुम्हर्रा निवासी सीताराम ने बताया की "जब वह करीब 25 बर्ष का था। तब उसे पहली बार सपने में एक सांप दिखाई दिया जो उसे कुछ दिन बाद डसने की चेतावनी दे रहा था।

सीताराम के मुताबिक करीब 2 दिन बाद ऐसा ही हुआ और उसे पहली बार उस सर्प ने डस लिया। समय-समय पर 2 बर्ष के अंतराल में उसे ऐसे ही सपने आते थे, और कुछ दिनों बाद उसे एक काला सर्प डस लेता था। सीताराम की मानें तो उसे अब तक करीब 12 बार काला सर्प डस चुका है। हर बार जब उसे सांप सताता है तो वह गांव के हनुमान मंदिर पर पहुंच जाता और गांव के लोग उसकी झाड़-फूंक करते है, जिसके बाद वह ठीक हो जाता था। सीताराम ने बताया की अभी विगत कुछ दिन पहले उसे एक सांप ने सताया तो हर बार की तरह वह गांव के हनुमान मंदिर पर पहुंचा।

झाड़-फूंक करने वाले शिरोमणि सिंह बुंदेला ने बताया- मंदिर पर जब सीताराम को आराम देने के लिए झाङफूंक की प्रक्रिया शुरू की गई तो उसके अंदर कोई अदृश्य शक्ति आकर कहने लगी कि इसे काटने वाला सर्प एक ही है। जो बर्षों से बदला लेना चाहता है। पूर्व जन्म में सीताराम और सर्प दोनों भाई-भाई थे। किसी बात को लेकर दोनों का झगड़ा हुआ और दोनों ने एक दूसरे के लोगों की हत्या कर दी थी। जिनमें से एक भाई ने सीताराम अहिरवार के रूप में जन्म लिया एंव दूसरा सर्प बना। सीताराम की झाड़-फूंक की गई और उसे हर बार की तरह 12 वीं बार भी आराम मिल गया।

वही ग्रामीणों ने बताया की इस मंदिर पर कैसे भी सर्प ने काटा हो, वह ठीक हो जाता है। आज ही के दिन वहां पर गांव के ही एक प्रदीप की झाड़-फूंक की गई। उसे भी कुछ दिन पहले काले सर्प ने काटा था। हालांकि यह लोगों की मान्यता है। इसमें हकीकत और फसाना क्या है, यह स्पष्ट नहीं कहा जा सकता। हनुमान मंदिर पर लोगों की आस्था है। हम किसी भी अंधविश्वास का समर्थन नहीं करते हैं।