भोपाल से देवेन्द्र कुमार जैन की रिपोर्ट
भोपाल, एमपी। किसी घड़ी में आपने चौबीस की जगह तीस घंटे सुना है। लेकिन अब ऐसा होने जा रहा है।और यह कोई ऐसी वैसी घड़ी नहीं है बल्कि वैदिक घड़ी है जो मुहूर्त और राशिफल के साथ साथ कई और महत्वपूर्ण जानकारी भी देगी मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन के जंतर मंतर वैद्यशाला में यह वैदिक घड़ी पिच्चासी फीट ऊँचे टावर पर लगाई गई है। यह दुनिया की पहली ऐसी घड़ी है जो घंटे मिनट और सैकेंड के साथ साथ यह भी बताएगी की सूर्योदय सूर्यास्त कब हुआ था इतना ही नहीं यह घड़ी पाञ्चांग मुहूर्त समय भी बताएगी इस वैदिक घड़ी में एक दिन में चौबीस नहीं बल्कि तीस घंटे होंगे अड़तालिस मिनट का एक घंटा होगा दरसल धार्मिक नगरी उज्जैन को काल गणना का केंद्र माना जाता है। कालों के काल भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन में स्थापित वैदिक घड़ी महत्वपूर्ण जानकारी के साथ आपको वैदिक ज्ञान भी प्रदान करेगी इस डिजिटल घड़ी का प्रयोग पहली बार उज्जैन में किया जा रहा है।यह काफी आकर्षण का केन्द्र होगा।क्योंकि हर कोई इस वैदिक घड़ी को देखना चाहता है वैदिक घड़ी इंटरनेट तथा जीपीएस से जुड़ी होने के कारण हर जगह से लोग इसका उपयोग कर सकते हैं। यह घड़ी मौजूद सूर्य के स्थान के आधार पर समय की गणना करेगी इस घड़ी को मोबाइल तथा टीवी पर भी सेट किया जा सकेगा।
वैदिक घड़ी में एक बजे के स्थान पर ब्रह्म लिखा हुआ है, इसका अर्थ यह है कि ब्रह्म एक ही है दूसरा कोई नहीं- एकोब्रह्मद्वितीयो नास्ति। दो बजे के स्थान पर अश्विनों लिखा हुआ है। अश्विनी कुमार दो पुत्र है- नासत्य और दस्र। नासत्य सूर्योदय एवं दस्र सूर्यास्त का प्रतिनिधित्व करते हैं। तीन बजे के स्थान पर त्रिगुणाः लिखा हुआ है, जिसका अर्थ है कि गुण तीन प्रकार के हैं- सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण। जीव और प्रकृति तीन गुणों की ही होती है। चार बजे के स्थान पर चतुर्वेदाः लिखा हुआ है, जिसका अर्थ है कि वेद चार प्रकार के होते हैं- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। वेद ही हिन्दुओं के धर्मग्रंथ है दूसरा कोई धर्मग्रंथ नहीं। पाँच बजे के स्थान पर पंचप्राणाः लिखा हुआ है, जिसका अर्थ है प्राण पांच प्रकार के होते हैं- अपान, समान, प्राण, उदान और व्यान। शरीर में यह मुख्यतः पांच प्रकार के प्राण स्थित होते हैं। छः बजे के स्थान पर षडूसाः लिखा हुआ है, इसका अर्थ है कि रस 6 प्रकार के होते हैं- मधुर, अमल, लवण, कटु, तिक्त और कसाय। सात बजे के स्थान पर सप्तर्षयः लिखा हुआ है इसका अर्थ है कि सप्त ऋषि सात हुए हैं- कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और वशिष्ठ। हर युग में अलग अलग सप्त ऋषि हुए हैं।आठ बजे के स्थान पर अष्ट सिद्धियः लिखा हुआ है इसका अर्थ है कि सिद्धियां आठ प्रकार की होती है- अणिमा, महिमा, लघिमा, गरिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, इशित्व और वशित्व। नौ बजे के स्थान पर नवद्रव्याणि लिखा हुआ है इसका अर्थ है कि 9 प्रकार की निधियां होती हैं- पद्म, महापद्म, नील, शंख, मुकुंद, नंद, मकर, कच्छप, खर्व। दस बजे के स्थान पर दशदिशः लिखा हुआ है, इसका अर्थ है कि दिशाएं दस होती है- पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, ईशान, नैऋत्य, वायव्य, आग्नेय, आकाश, पाताल। ग्यारह बजे के स्थान पर रुद्राः लिखा हुआ है, इसका अर्थ है कि रुद्र ग्यारह प्रकार के हुए हैं-कपाली, पिंगल, भीम, विरुपाक्ष,विलोहित, शास्ता, अजपाद,अहिर्बुध्न्य, शम्भु, चण्ड और भव। यह भगवान शिव के रूप माना जाता है। बारह बजे के स्थान पर आदित्याः लिखा हुआ है, अर्थ यह है कि सूर्य बारह प्रकार के होते हैं- अंशुमान, अर्यमन, इंद्र, त्वष्टा, धातु, पर्जन्य, पूषा, भग, मित्र, वरुण, विवस्वान (सूर्य) और विष्णु (वामन) । यह ऋषि कश्यप और अतिति के पुत्र हैं जो देवता हैं। उज्जैन में लगी इस वैदिक घड़ी की खासियत की अगर बात करें तो यह एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय के बीच तीस घंटे का समय दिखाएगी। साथ ही इसमें भारतीय मानक समय के आधार पर साठ मिनट नहीं बल्कि अड़तालिस मिनट का एक घंटा तय किया गया है।