संस्कृति IAS क्यों बन रहा है हिंदी माध्यम में UPSC की तैयारी करने वालों की पहली पसंद।

संस्कृति IAS

UPSC कोचिंग संस्थान संस्कृति IAS इन दिनों UPSC की तैयारी करने वाले छात्रों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है जिसका कारण है। वैसे तो संस्थान के संस्थापक अखिल मूर्ति के निर्भीक नजरिए और उम्दा आईएएस के कंटेंट को लेकर ये हमेशा से छात्रों की पसंद रहा है लेकिन इस बार इसके चर्चा में आने का कारण है अखिल मूर्ति द्वारा बिहार की “का बा गर्ल” नेहा सिंह राठौड़ को दिया गया एक इंटरव्यू।

संस्कृति IAS
संस्कृति IAS

गौरतलब है की हाल ही में अखिल मूर्ति ने नेहा सिंह राठौड़ को एक इंटरव्यू दिया है जिसमें उन्होंने संस्कृति आईएएस और अपने पूर्व संस्थान दृष्टि आईएएस को लेकर कुछ खुलासे किए हैं।

कौन हैं अखिल मूर्ति और संस्कृति IAS?

दरअसल अखिल मूर्ति बेहद प्रसिद्ध UPSC संस्थान संस्कृति IAS(Sanskriti IAS) के संस्थापक हैं। अखिल मूर्ति पहले दिल्ली के मुख़र्जी नगर में स्थित दृष्टि आईएएस में इतिहास के शिक्षक के तौर पर काम करते थे। लेकिन कुछ कारणों के चलते उन्होंने दृष्टि से अलग होकर संस्कृति आईएएस की स्थापना करने का निर्णय लिया। बता दें की अखिल छात्रों के बीच बेहद पसंदीदा शिक्षक रहे हैं। और वे अपनी टीम के साथ संस्कृति में लगाकर UPSC के छात्रों को अपडेटेड कंटेंट और अपने अनुभव के साथ उनके upsc के सपने को साकार करने में मदद कर रहे हैं।

संस्कृति IAS की स्थापना के पीछे का कारण ?

नेहा को दिए गए इंटरव्यू में अखिल मूर्ति ने बताया की दिल्ली के बड़े संस्थान केवल कुछ मशहूर शिक्षकों के नाम पर गांव-देहात से आने वाले छात्रों के साथ छलावा करते हैं और लाखों रुपए लेते हैं। उनका कहना हैं की छात्र दूर-दूर से केवल कुछ शिक्षकों से पढ़ने के लिए आते हैं। लेकिन यहां आकर उन्हें उन शिक्षकों से बातचीत तक करने का अवसर नहीं मिलता। और उन्हें कोई और ही शिक्षक पढ़ा रहे होते हैं जिनका जिक्र भी इंस्टिट्यूट की वेबसाइट पे नहीं होता है। और छात्रों को इस बारे में ना तो सोशल मीडिया से न ही इंस्टिट्यूट की वेबसाइट से कोई खबर मिलती है।

अपने पूर्व संस्थान दृष्टि के बारे में भी अखिल ने यही बात कही। उन्होंने बताया की दृष्टि में सभी बड़े शिक्षक अब दृष्टि छोड़ चुके हैं लेकिन छात्र आज भी उन्हीं शिक्षकों के नाम पर दिल्ली आते हैं। क्योंकि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं होती। उन्होंने बताया कि वे छात्रों के साथ धोखा नहीं करना चाहते थे इसलिए उन्होंने दृष्टि से अलग होने का निर्णय लिया और संस्कृति आईएएस कि स्थापना की। वे बताते हैं संस्कृति आईएएस में वे और उनकी टीम सीधे छात्रों से रूबरू होते हैं और उन्हें हर संभव जानकारी प्रदान करने की कोशिश करते हैं।

संस्कृति IAS क्यों है ख़ास?

संस्कृति IAS संस्थान के संस्थापक अखिल मूर्ति का कहना है की उन्होंने अपने संस्थान में छात्रों की सुविधाओं के लिए तामम आधुनिक चीजें उपलब्ध रखी है। संस्थान में छात्रों को पढ़ाने के लिए वे आधुनिक प्रोजेक्टर का इस्तेमाल करते हैं ताकि छात्र हर विषय को विज़ुअल तरिके से देख कर उस विषय को बारीकी से समझ पाएं। साथ ही वे बताते हैं की वे संस्थान से जुड़े छात्रों को पूर्ण रूप से अपडेटेड कंटेंट ही उपलब्ध करवाते हैं ताकि उनके छात्र जानकारी में अव्वल रहें। उनका कहना है संस्कृति का माहौल UPSC के छात्रों के अनुकूल रखा गया है। संस्कृत आईएएस ख़ास इसलिए भी है क्योंकि ये हिंदी माध्यम के छात्रों पर विशेष रूप से ध्यान देता है। अखिल मूर्ति का कहना है की देहात से आने वाले छात्र हिंदी माध्यम में upsc की तैयारी करने के लिए अपनी जमा पूंजी लेकर शहर आते हैं। ऐसे में उनके साथ धोखा हो तो ये सही नहीं है। इसलिए वे इन छात्रों पर विशेष रूप से ध्यान देते हैं और हिंदी माध्यम के अनुसार हर जरूरी पाठ्यकर्म सामग्री छात्रों को उपलब्ध करवाते हैं।

हम अनुभवी शिक्षकों के साथ काम करते हैं – अखिल मूर्ति

वही अखिल का कहना है की संस्कृति में काम करने वाले तमाम शिक्षक अनुभवी हैं और अपने विषय का पूर्ण ज्ञान रखते हैं। और इस तरिके से विषय को छात्रों के समक्ष रखते हैं की उन्हें उस विषय की बारीकी समझ आए ताकि कोई भी संदेह उनके दिमाग में ना रहे। साथ ही उनका कहना है वे छात्रों को अपडेटेड स्टडी मटेरियल और टेस्ट सीरीज उपलब्ध करवाते हैं ताकि वे अपने सीखे गए विषयों की जाँच करते रहें।